विभिन्न विद्वानो ने स्वप्न को भिन्न भिन्न भागो में बाटा है। महर्षि चरक (चरक संहिता के लेखक) के अनुसार स्वप्न 6 प्रकार के होते है। लेखक भी इसका समर्थन करता है।
स्वप्न के 6 प्रकार (Six Types of dream) :-
1- द्रष्ट- जो स्वप्न जाग्रत अवस्था में देखा गया हो उस स्वप्न को द्रष्ट स्वप्न कहते है।
2- श्रुत- जो सोने से पूर्व सुनी सुनाई गई बातों को स्वप्न में अनुभव किया जाए श्रुत स्वप्न कहलाता है।
3-अनुभूत- जो जागते हुए अनुभव किया गया हो उसे अनुभूत स्वप्न कहते है।
4-प्रर्थित- जाग्रत अवस्थ में की गए प्रार्थना की इछा को स्वप्न में देखना प्रर्थित स्वप्न कहलाता है।
5-दोषजनन्य- वात, पित्त और कफ आदि दोष आदि ग्रसित होने की पूर्व सूचना देने वाले स्वप्न दोषजनन्य स्वप्न कहलाते है। प्राचीन आयुर्वेदाचार्य इन्ही स्वप्न के आधार पर भी रोग का निर्णय किया करते थे।
6-भाविक- भविष्य में घटित होने वाले स्वप्न को भाविक स्वप्न कहते है। इसी के द्वारा भविष्य कथन किया जाता है।