आकाश
में चमकते हुये तारे बहुत सुंदर प्रतीत है। यह तारे आकाश में
देखने पर टिटिमाते हुये दिखते है। यह दिखने में भले छोटे लगे मगर कुछ तारे तो
सूर्य से भी बड़े होते है। proxima
centauri जो पृथ्वी का सबसे निकट का तारा है, वह पृथ्वी से 3 नील 99 खराब 28 करोड़ 25 लाख किलोमीटर दूर है।
तारे टूटते और बनते कैसे है? (Why do star break and how they are formed?)
अन्तरिक्ष में धूल के कण, हाइड्रोजन, हीलियम
आदि गैस बादलो के रूप
में मौजूद होते है।
यह गैसीय कण
आपस में आकर्षण
शक्ति से बंधकर गैस के गोले का निर्माण करते है, इस प्रकार पिंड का
निर्माण होता
है। जिसे हम तारे कहते है।
यह तारे आकाश में देखने पर टिटिमाते हुये
दिखते है। यह दिखने में भले छोटे लगे मगर कुछ तारे तो सूर्य से भी बड़े होते
है। आकाश गंगा में लगभग हर 18 दिन में एक तारा बनता है। हमारी आकाश गंगा में 2-4 खरब तारे है
और आकाश गंगा की कुल संख्या 1 खरब मनी गयी है।
कभी कभी आकाश से कोई तारा तेज़ी के साथ नीचे की और गिरता हुआ दिखाई देता है। इसे सामान्य बोलचाल की भाषा में तारों का टूटना कहते है। जैसा की हमने पूर्व में
बताया, तारे
गैसीय पिंड से बने होते है। यह अनगिनत गैसीय पिंड या उलत्का पिंड ब्रह्मांड में निरंतर भ्रमण करते
रहते है। जब यह पिंड पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते है, तो जलकर बिखर जाते है। इसे ही तारों का
टूटना कहते है।
तारे टिमटिमाते क्यों है? (Why do the star Twinkle)
हमारे वायुमंडल में कई चलायमान परते होती है। किसी का धनत्व कम तो किसी का ज्यादा होता है। तारो की रोशनी को पृथ्वी तक पहुँचने में यह अवरोध का कार्य करती है। इसके फलस्वरूप हमे तारे की रोशनी कभी कम तो कभी अधिक दिखाई देती है और हमे तारे टिमटिमाते हुये प्रतीत होते है।
proxima centauri जो
पृथ्वी से सूर्य
के बाद पृथ्वी का सबसे निकट का तारा माना जाता है, वह पृथ्वी से 4.22 प्रकाश वर्ष
यानि करीब 3 नील 99 खराब 28
करोड़ 25 लाख
किलोमीटर दूर है। इस तारे के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने
में लगभग 4 वर्ष
का समय लगता
है। अतः हम जिन तारों को टिमटिमाते या टूटते हुये देखते है, वह
वर्षों पुरानी घटना होती है।
तारो से जुड़े शकुन अपशकुन (Omens related to star)
अभी हमने
तारों के बारे में रोचक तथ्यों को जाना। आपको यह
जानकार आश्चर्य
होगा, कि देश
विदेश में तारों से संबंधी
विभिन्न शकुन, अपशकुन संबंधी मान्यताए भी
प्रचलित है। जी
हाँ।
वैज्ञानिकों के अनुसार तारो का बनाना
और टूटना भले ही एक भौगोलिक घटना है, लेकिन शकुन विचार में भी इसका अपना महत्व रहा है। तारों के टूटने के विषय में 2
मान्यता प्रचलित है। पहला पाश्चात्य मत जो विश्व भर में प्रचलित है और दूसरा भारतीय
मत। जिसे हम विस्तार से जानेंगे-
पाश्चात्य मत (Western thoughts):-
पाश्चात्य मत अनुसार- “जब कोई व्यक्ति मरता है तो वह आकाश में स्थित तारा बन जाता है।” यानि सितारो में आदमी की आत्मा होती है।
जब
कोई तारा टूटता है, तो आत्मा जन्म लेकर दुबारा पृथ्वी पर आती है।
इसलिए ही तारो का टूटना शुभ समझा जाता है। कहा
जाता है यदि
तारो के टूटते समय यदि कोई मुराद मांगे तो वह पुण्य आत्मा अवश्य पूरी करती है।
सिनेमा,
टीवी सीरियल
आदि ने इस अंधविश्वास को बखूबी फैलाने का काम किया है। फलस्वरूप यह अंधविश्वास आज
सम्पूर्ण विश्व
में प्रचलित
हो गया है।
भारतीय मत (Indian thoughts):-
भारतीय मत अनुसार तारो
का टूटना शुभ
नहीं समझा जाता। शकुन शास्त्र के अनुसार तारो को टूटना देश के लिय अच्छा संकेत
नहीं होता, निकट भविष्य में अशुभ समाचार सुनने को मिल सकता है।यदि किसी कार्य को करते समय यदि आपको तारा टूटता
दिख जाये तो आपको कार्य में असफलता का सामना करना पड़ सकता है।
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