अपना भविष्य कौन नहीं जानना चाहता? वैज्ञानिक भी इस क्षेत्र में निरंतर
अनुसंधान कर रहे है, लेकिन वर्तमान में ज्योतिष ही एक मात्र ऐसा शास्त्र है, जिसके द्वारा समय के तीनों आयाम (भूत, वर्तमान, भविष्य) का अनुमान लगाया जा सकता है।
ज्योतिष (astrology) शब्द ज्योति (प्रकाश)+ ईश (भगवान) से मिलकर बना है।“सूर्यादि
ज्योतिषां ग्रहणाम बोधक शास्त्रम्”अर्थात वह ज्ञान जो ग्रहों की स्थति एवं उनके
भ्रमण और उसका हम सब पर प्रभाव बताता है, उसे ज्योतिष शास्त्र कहते है।
यू तो संसार में ज्योतिष की अनेक शाखा प्रचलन
में है,
लेकिन कुंडली ज्योतिष (Horoscope astrology) भविष्य की कसोटी में जितनी खरी उतरती
है,
उतनी अन्य नहीं। शायद इसलिए ही कुंडली ज्योतिषविश्व भर में सर्वाधिक प्रयोग में
लायी जाती है।
ज्योतिष को कथन की दृष्टि से दो भागो में बाटा जा सकता है, गणित और फलित। गणित के माध्यम से आसमान में स्थित ग्रहो, नक्षत्रो की स्थति का पता लगाया जाता
है,
तत्पश्चात गणना द्वारा प्राप्त ग्रहो, नक्षत्रो की स्थति के आधार पर फल कथन
किया जाता है, जिसे
हम फलित ज्योतिष नाम से भी संबोधित करते है।
मुख्यतः हम नीचे के लेख में फलित ज्योतिष पर
चर्चा करेंगे और ज्योतिष के सिद्धांत को सरल और तार्किकऔर वैज्ञानिक ढंग (scientific) से आपके सामने प्रस्तुतु करने का
प्रयास करेंगे-