लाल किताब ज्योतिष । Red Book Astrology - Gvat Gyan

आओ कुछ नया सीखते है...

लाल किताब ज्योतिष । Red Book Astrology

लाल किताब ज्योतिष की एक नयी शाखा हैइसकी उत्पति को लेकर विद्वानों में मतभेद है कुछ लोगो को मानना है कि यह हजारों वर्षो से चली  रही विध्या है तो कुछ लोगों को कहना है कि इसके रचियता रावण है। 
lal kitab astrology book (red book)
         
चाहे जो भी हो आम जनमानस तक लाल किताब के ज्ञान को पहुचानें को श्रेय बीसवी शताब्दी के प्रारम्भ में पडित रूपचदं जोशी जी को ही जाता है कहां जाता है कि पडितं रूप चंद जी को स्वप्न में लाल किबाब का ज्ञान प्राप्त होता था जिसे वह प्रातउठकर कॉपी में उतार कर अध्यन किया करते थें।

लाल किताब के रहस्य को जान लेनें के पष्चात पंडित जी ने लाल किबाब के रहस्य को उर्दू भाषा में आम आदमी तक पहुचानें का प्रयास किया। 

पडिंज जी ने लाल किताब को 5 भागों में प्रकाशित किया-

1- लाल किताब के फरमान 1939
2- लाल किताब के अरमान 1940
3- लाल किताब (गुटका) कविता के रूप में
4- लाल किताब तरमीशुदा
5- ज्योतिष की लाल किताब



      बीमारी का बगैर दवाई भी इलाज है,
      मगर मौत का कोई इलाज नहीं। 
      ज्योतिष दुनियावी हिसाब-किताब है,
      कोई दावाए खुदाई नहीं। 



अर्थात- बीमारी का बिना दवाई के भी इलाज़ हो सकता है, मगर मौत का कोई इलाज़ नहीं है। इसी प्रकार ज्योतिष भी में गणना द्वारा फल कथन किया जाता है। ज्योतिषी मानव है, कोई खुदा (ईश्वर) नहीं है जो उससे त्रुटि न हो। 

 लाल किताब वैदिक ज्योतिष से थोड़ी भिन्न थी। इसमे वैदिक ज्योतिष के समान गणना और लंबे चोड़े उपाय न होकर सरलता से किए जा सक्ने वाले उयाय थे। जिस कारण लाल किताब और रुपचन्द जोशी जी शीघ्र ही का प्रसिद्ध हो गए, लेकिन कहा जाता रूप चंद जी ने अपनी प्रसिद्धि का कभी फाइदा नही उठाया और न ही भविष्य कथन करने के लिए कभी धन लिया। 

परंपरागत ज्योतिष में लग्न कुंलड़ी, चंद्र कुंडली, सूर्य कुंडली, नवमांश आदि कुंडली होती है। लाल किताब में अंधा टेवा, नाबालिक टेवा आदि से फलित किया जाता है। लाल किताब में कुंलड़ी को “टेवा” कहा जाता है।


लाल किताब कुंडली बनाने का तरीका 

अब हम आपको लाल किताब कुंडली बनने की विधि बताते है। लाल किताब की कुंडली परमपरगत कुंडली से थोड़ी सी अलग होती है। जिसे आप लाल किताब ज्योतिष के software या वैदिक पंचांग के माध्यम से बना सकते है। अगर आप परंपरागत ज्योतिष का ज्ञान रखते है तो लाल किताब किताब की कुंडली को बनने के लिए निम्न बातों पर अमल करें-

1.   आप सबसे पहले कुंडली में लिखे अंकों को हटा दें।
2 .  सूर्य, चंद्र आदि नव ग्रहों को जहा लिखे है, वही लिखा रहने दे।
3.  फिर लग्न में अंक 1 लिखकर क्रमशः 12 तक अंक लिख दे। 

लाल किताब ज्योतिष में भी भारतीय ज्योतिष की भाति 9 ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहू, केतू) मान्य है। अगर आपने पाश्चात्य तरीके से कुंडली बनायी है, तो उसमे से प्लूटो, नेपच्यून आदि ग्रहों को भी मिटा दे।  


इस प्रकार प्राप्त कुंडली लाल किताब की कुंडली है। लग्न कुंडली से राशि अंक इसलिए हटाया क्योंकि लाल किताब में राशि स्थिर माने गए है। यानि पहले भाव में मेष तो 12 में मीन राशि ही रहेगा।