वृहद हस्तरेखा संहिता । The science of Palmisty - Gvat Gyan

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वृहद हस्तरेखा संहिता । The science of Palmisty


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वृहद हस्तरेखा संहिता (The science of Palmisty)


संसार में ज्योतिष की अनेक शाखाये प्रचलित हैजिसमे से हस्तरेखा भी एक है। हस्त रेखा में हथेली पर पाये जाने वाली रेखापर्वत और चिन्हों के आधार पर भविष्य कथन किया जाता है इसे अँग्रेजी में palmistry कहते है।

ज्योतिष में हस्त रेखा को कुंडली ज्योतिष (Horoscope astrology) के बाद सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। श्री मेधविजयगणी कृत सामुद्रिक संजीवन के अनुसार हस्त रेखा ईश्वर की बनायी एक ऐसी कुंडली है जो कभी नष्ट नहीं होती इसके रचियता स्वयं ब्रह्मा है।

एक ही समय में पैदा हुए दो जुड़वा बच्चो की जन्म कुंडली एक हो सकती परंतु हस्त रेखा कभी एक नहीं हो सकती। क्योकि दो व्यक्ति के जीवन में कभी समानता नहीं रहती।  हाथ की चमड़ी उखाड़ देने पर भी पुनः वही रेखा उभर आती है। हस्त रेखा को मात्र कर्म से बदला जा सकता क्योकि कर्म से बड़कर कुछ नहीं होता। 

हस्त रेखा अपने आप में पूर्ण विज्ञान है ओर इसमे शत प्रतिशत भविष्य कथन (prediction) करने की क्षमता हैपरन्तु सफलता का प्रतिशत गहन अध्यन और अनुभव पर ही निर्भर करता है। ज्योतिषी गलत हो सकता हैमगर ज्योतिष नहीं। ज्योतिष का सिद्धान्त गुरुत्व गुरुत्वाकर्षण के नियम के समान है अर्थात सभी पर लागू होता है।


हस्त रेखा का महत्व (The importance of palmistry)   

     अपना भविष्य कौन नहीं जानना चाहता? वैज्ञानिक भी इस क्षेत्र में निरंतर अनुसंधान कर रहे है लेकिन वर्तमान में ज्योतिष ही भविष्य पता करने का एक मात्र साधन है और ज्योतिष की शाखाओं में हस्त रेखा अपना विशेष स्थान रखता है। कहते है हस्त रेखा कभी झूठ नहीं बोलती।

जिस प्रकार दो व्यक्ति की विचारधारा कभी समान नहीं हो सकती ठीक उसी प्रकार दो व्यक्ति के हाथों की रेखा भी कभी समान नहीं होती। यदि कुंडली से फल कथन करते समय जन्म समय में मामूली सी गलती या गणित में त्रुटि कथन को वास्तविकता से मिलो दूर कर सकती है। ऐसे स्थान में हस्त रेखा का अपना महत्व है। इसके अतिरिक्त हस्त रेखा किसी व्यक्ति के कुंडली की प्रामाणिकता को जाँचने के लिए भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अतः हर ज्योतिषियों को हस्त रेखा का ज्ञान होना चाहिए। 

हथली में ग्रहों के स्थान (Place of planets in the Palm)

ज्योतिष अनुसार ग्रहों का मानव जीवन पर शुभ अशुभ प्रभाव पड़ता है, और इन्ही ग्रहों के आधार पर किसी व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य का अनुमान लगाया जाता है। जिस प्रकर कुंडली में ग्रह स्थित होते है, ठीक उसी प्रकार हथेली में भी इनका स्थान निश्चित होता है। हस्तरेखा ज्योतिष में हथेली में इन ग्रहों की स्थिति और इन पर पाये जाने वाले चिन्ह के आधार पर किसी ग्रह की शुभाशुभ स्थिति का पता लगाया जाता है।

हस्तरेखा में हथेली को 9 भागों में बाटा गया है, इन भागों को ग्रह, पर्वत या mount कहते है। इन पर्वतों का नाम नवग्रह के नाम पर ही रखा गया है। यानि गुरु पर्वत, शनि पर्वत, सूर्य पर्वत, मंगर्ल पर्वत, चन्द्र पर्वत, शुक्र पर्वत, राहू पर्वत, केतू पर्वत। जैसा की चित्र में देखा जा सकता है।

हथली में पाये जाने वाली रेखा (The Line on the hand)

हथले में 7 प्रकार की मुख्य रेखा पायी जाती है। यह रेखा अपने नाम एक अनुरूप ही फल देती है। इन रेखाओं की स्थिति और इन पर पाये जाने वाले चिन्हों के आधार पर ही हमे इनकी शुभ अशुभ स्थिति का पता चलता है। हथली में पाये जाने वाली 7 मुख्य रेखा निम्न है-

  1. जीवन रेखा (Life Line)
  2.  हृदय रेखा (Heart Line )
  3.  मस्तिष्क रेखा (Mind line)
  4.  शनि रेखा (Fate line)
  5.  सूर्य रेखा (Sun line)
  6.  स्वास्थ्य रेखा (Health Line)
  7.  विवाह रेखा (Marriage Line)
  8. हस्त रेखा द्वारा रोग निर्णय (Medical Palmistry)

इसके अतिरिक्त हथली में मणिबंध रेखा, मंगल रेखा, चंद्र रेखा, यात्रा रेखा, शुक्र वलय, शनि वलय, गुरु वलय आदि गौण रेखा भी पायी जाती है जिसके बारे में आपको आगे जानकारी दी जाएगी। आज के लिए बस इतना ही। अगला भाग शीघ्र ही...  
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