ज्योतिष में नक्षत्र का महत्व [ सरल व्याख्या ] - Gvat Gyan

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ज्योतिष में नक्षत्र का महत्व [ सरल व्याख्या ]

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ज्योतिष में नक्षत्र का महत्व (Importance of Nakshatra in astrology)


हमारे आज के लेख का विषय है "नक्षत्र"। भारतीय ज्योतिष में नक्षत्र का अत्यंत महत्व है, ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति जन्म से लेकर मृत्यु तक नक्षत्र से प्रभावित रहता है। नक्षत्र के बीना ज्योतिष की कल्पना भी नहीं की जा सकती। बच्चे के जन्म के समय कही मूलनक्षत्र तो नहीं है? मृत्यु के समय पंचक दोष तो नहीं लग रहा? इन नक्षत्र योगों से सामान्य जन भी भली प्रकार परिचित है। वर वधू कुंडली मिलान में भी नक्षत्र मिलान को बहुत महत्व दिया जाता है, महादशा निर्धारण का आधार भी नक्षत्र ही है। अतः ज्योतिष को समझने के लिए हमे नक्षत्र को समझना होगा।


प्रश्न:- नक्षत्र किसे कहते है?
उत्तर- आकाश में असंख्य तारे है, हम केवल उनही तारों को देख सकते है, जिसका प्रकाश पृथ्वी पर आता है। ज्योतिष में इन तारों के समूह (groups of star) को ही नक्षत्र कहते है।  

प्रश्न:- ज्योतिष में नक्षत्र की क्या उपयोगिता है?
उत्तर- “जिस प्रकर प्रकार धरती में एक स्थान से दूसरे स्थान की दूरी किलोमीटर से नापी जाती है, ठीक इसी प्रकार आकाश में नक्षत्र और अंश (डिग्री) ही पृथ्वी की दूरी मापने का साधन है।”  

हम जानते है, आकाश में असंख्य तारे हैं इन तारो को 27 भागों में बांट कर प्रत्येक भाग को एक नक्षत्र मानकर नाम भी रख दिया गया है। एक नक्षत्र 13.20 अंश का होता है। सुष्म अध्यन करने के लिए इसको भी 4 भागों में विभाजित कर दिया गया है, जिसे चरण कहते है। 

प्रत्येक नक्षत्र का एक निश्चित वृत्त होता है, उस वृत्त के भीतर जो भी घटना घटित होती है, उसे नक्षत्र में घटित घटना मान लिया जाता है। इसलिए नक्षत्र का ज्योतिष में विशेष महत्व है।  

नक्षत्र के प्रत्येक चरण का एक अक्षर होता है। जिस नक्षत्र के जिस चरण में बालक का जन्म होता है, उसी अक्षर के अनुसार बालक का नाम रखा जाता है। उदाहरण- यदि किसी बालक का जन्म भरणी नक्षत्र के 4 चरण में हुआ है, तो नीचे दी गयी तालिका के अनुसार भरणी नक्षत्र के आगे तीसरे चरण मे लो शब्द लिख हुआ है अतः जातक का नाम लोकेन्द्र, लोकनाथ आदि रखा जा सकता है। 

क्रम
नक्षत्र
प्रथम चरण
द्वितीय चरण
तृतीय चरण
चतुर्थ चरण
1
अश्विनी
चू
चे
चो
ला
2
भरणी
ली
लू
ले
लो
3
कृतिका
4
रोहणी
बा
बी
बु
5
मृगशिरा
बे
बो
का
की
6
आद्रा
कू
7
पुनर्वसु
के
को
हा
ही
8
पुष्य
हू
हे
हो
डा
9
अश्लेषा
डी
डू
डे
डो
10
मघा
मा
मी
मू
मे
11
पूर्वाफाल्गुनी
मो
टा
टी
टू
12
उत्त्रफाल्गुनी
टे
टो
पा
पी
13
हस्त
पू
14
चित्रा
पे
पो
रा
री
15
स्वाती
रु
रे
रो
ता
16
विशाखा
ती
तू
ते
तो
17
अनुराधा
ना
नी
नू
ने
18
ज्येष्ठा
नो
या
यी
यू
19
मूल
ये
यो
भा
भी
20
पूर्वाषाढ़ा
भू
धा
फा
ढा
21
उतराषाढा
भे
भो
जा
जी
22
अभिजीत
जू
जे
जो
खा
23
श्रवण
खी
खू
खे
खो
24
धनिष्ठा
गा
गी
गू
गे
25
शतभिषा
गो
सा
सी
सू
26
पूर्वभाद्रपद
से
सो
दी
27
उतरभाद्रपद
दू
28
रेवती
दे
दो
चा
चो

विशेष- नक्षत्र तालिका पंचांग में दिया रहता है। अतः ज्योतिष के नवीन छात्र इसे बस समझने की कोशिस करे याद न करें।  
हमने आज के लेख में जाना नक्षत्र क्या होता है और जन्म नक्षत्र के आधार पर नाम कैसे रखा जाता है। यदि आपके मस्तिष्क में किसी प्रकार का कोई प्रश्न है तो आप हमसे निषंकोच पुंछ सकते है।    

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