पति पर वशीकरण प्रयोग करने से क्या होता है? - Gvat Gyan

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पति पर वशीकरण प्रयोग करने से क्या होता है?

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मंत्र, तंत्र की शक्ति से के किसी को अपने अनुकूल बनाना वशीकरण कहलाता है। वशीकरण को अभिचार कर्म माना गया है। तांत्रिक ग्रन्थों के अनुसार कभी किसी के ऊपर अनावश्यक वशीकरण कर्म नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसके परिणाम बहुत भीषण होते है। इस संदर्भ में पुराणों में एक कथा वर्णित है।    

एक बार दयालुता के लिए जग प्रसिद्ध राजा रुकमाडगद किसी मार्ग से गुजर रहे थे, कि रास्ते में घोड़े के पैरों से कुचली छिपकली को देखते है। उसकी मूर्छा दूर करने के लिए उस पर जल डालते है। जब छिपकली होश में आती है, तो वह मनुष्य की बोली में बोलने लगती है।

यह देख राजा रुकमाडगद” चकित हो जाते है और छिपकली से उसकी ऐसी दशा होने का  कारण पूछते है तो छिपकली इसे अपने पूर्व जन्म की बात बताती है। हें! दयालु पुरुष मैं पूर्व जन्म में शाकल नगर में एक ब्राह्मण की पत्नी थी, मेंने सन्यासिनी से औषधि लेकर अपने पति पर वशीकरण प्रयोग कर दिया था। यह उसी का परिणाम है।  

यदि कोई स्त्री अपने पति पर वशीकरण प्रयोग करती है, तो उसका सारा धर्म व्यर्थ हो जाता है। जिस कारण मुझे मृत्यु पश्चात नरक में तांबे के पात्र में रखकर 15 युगों तक जलाया गया। जब मेरा थोड़ा सा ही शरीर शेष रह गया तो मुझे छिपकली की योनि मिली। इस रूप में 10 हजार वर्ष बीत गए है।

क्या इस शाप से मुक्ति का कोई उपाय नहीं है? राजा के ऐसा पुंछने पर छिपकली उन्हे बताती है राजन आपने जो सरयू और संगम तीर्थ में श्रवण नक्षत्र युक्त द्वादशी का व्रत किया है, जो मनोवांछित फल प्राप्ति और प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने वाला व्रत है यदि आप उसका फल मुझे दे देंगे तो मुझे मुक्ति मिल सकती है।

दयालु राजा रुकमाडगद ने छिपकली से कहा- मैंने विजया का पुण्य तुम्हें दे दिया। रुकमाडगद के ऐसा कहते ही छिपकली ने अपना शरीर त्याग दिया और दिव्य प्रकाश के रूप मे वैष्णव धाम चली गयी। इस प्रकार राजा रुकमाडगद ने वशीकरण के दुष्परिणाम से पीड़ित एक छिपकली का उद्धार किया। 


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