शुक्र सौर मण्डल का सबसे “चमकिला ग्रह” है। इसे ग्रह चक्र में “6 स्थान” प्राप्त है। शुक्र गृह को इंग्लिश में “Venus” कहते है। पौराणिक मान्यता के अनुसार- “शुक्र महर्षि भृगु के पुत्र है।” जिस प्रकर गुरु ग्रह देवताओं के गुरु है, वैसे ही शुक्र को दैत्यों को गुरु माना गया है।
लाल किताब ज्योतिष मे शुक्र का पक्का घर “खाना नंबर 7” माना गया है। इसके शनि, बुध, केतू मित्र और सूर्य, चंद्र, राहू शत्रु ग्रह माने जाते है।
शुक्र ग्रह से “वैवाहिक सुख, प्रेम, कला, सौंदर्य” आदि का विचार किया जाता है। शुक्र भोग विलास का ग्रह है। सेक्स का विचार शुक्र से ही किया जाता है। इसलिए ही यदि कुंडली में शुक्र खराब हो तो विपरीत लिंग से सुख नहीं मिलता, सेक्स संबंधी व्याधि का सामना करना पड़ता है।
शुक्र प्रधान जातक श्वेत वर्ण, उत्साहित और लोगो को आकर्षित करने वाला होता है। सौंदय की वस्तुओं के प्रति इनका विशेष लगाव होता है।
लाल किताब ज्योतिष में प्रत्येक ग्रहों के मित्र, शत्रु रंग, धातु, व्रक्ष, आदि कई तथ्यों का उल्लेख किया गया है। जिसके बारे में संक्षिप्त वर्णन नीचे दिया जा रहा है-
पक्का घर
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7
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प्रबल
समय
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दोपहर
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श्रेष्ठ
घर
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1, 3, 4, 7, 12
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दिन /
वार
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शुक्रवार
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मंदे घर
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1, 6, 9
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देवता
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लक्ष्मी
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मित्र
ग्रह
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शनि, बुध, केतू
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रंग
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सफ़ेद
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शत्रु
ग्रह
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सूरी, चंद्र, राहू
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धातु
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चाँदी
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सम ग्रह
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रत्न
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हीरा, मोती
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मनसूई
ग्रह
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राहू+केतू
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गुण
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उत्साह, ऐश्वर्य
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उच्च भाव
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12
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वृक्ष
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कपास
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नीच भाव
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6
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पशु
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बैल, सफ़ेद गाय
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व्यवसाय
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सौंदय संबन्धित
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अनाज
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आली, ज्वार
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बीमारी
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वीर्य रोग
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