ग्रह चक्र क्रमांक में चंद्रमा को दूसरा स्थान प्राप्त है। “चंद्रमा मनसों जातकः” अर्थात चंद्रमा मन का कारक ग्रह है। लाल किताब के अनुसार चंद्रमा का कुंडली में पक्का घर खाना नंबर 4 है।
चंद्रमा एक सौम्य ग्रह है। इस ग्रह की दृष्टि जहां पर भी पड़ती है शुभ फल में वृद्धि ही करती है, बशर्ते चंद्रमा कुंडली में शुभ स्थिति में हो।
राहू केतू इसके शत्रु ग्रह है और यह चंद्रमा को ग्रहण लगाते है। सूर्य बुध मित्र ग्रह की श्रेणी में आते है और मंगल, शनि, गुरु, शुक्र सम है। शरीर में यह जल और “कफ” का प्रतिनिधित्व करता है। कफ जनित रोग चंद्रमा के कारण होते है। रिश्तों में माता और मामा के सुख का विचार चंद्रमा से ही किया जाता है।
हिन्दू मान्यता के अनुसार- “चंद्रमा भगवान शिव के जटा में विराजमान है।” शिव की उपासना करने से चंद्रमा शुभ फल देता है। अतः किसी की कुंडली में चंद्रमा अशुभ स्थिति में होतो भगवान शिव से मदत ली जा सकती है।
उच्च चंद्रमा वाले व्यक्ति का स्वभाव सौम्य और दयालु होता है। ऐसे व्यक्ति लड़ाई झगड़े से दूर रहन वाले होते है। मानसिक रूप से बहुत बलिष्ठ होते है।
लाल किताब में प्रत्येक ग्रह के मित्र, शत्रु रंग, धातु, व्रक्ष, आदि कई तथ्यों का उल्लेख किया गया है। जिसके बारे में संक्षिप्त वर्णन नीचे दिया जा रहा है-
पक्का घर
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4
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प्रबल समय
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बड्ता चाँद,
पुर्णिमा
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श्रेष्ठ घर
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1, 2, 3, 4, 5, 7, 9
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दिन / वार
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सोमवार
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मंदे घर
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6, 8, 10, 12
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दिशा
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पूर्व
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मित्र ग्रह
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सूर्य,
बुध
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देवता
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चंद्रमा,
शिव
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शत्रु ग्रह
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राहू,
केतू
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रंग
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सफ़ेद
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सम ग्रह
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धातु
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चाँदी
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मनसूई ग्रह
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सूर्य+बुध
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रत्न
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मोती
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उच्च भाव
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2 भाव
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गुण
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दयालु,
भावुक
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नीच भाव
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7 भाव
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वृक्ष
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सफ़ेद पेड़
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व्यवसाय
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पानी से संबन्धित
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पशु
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घोडा
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बीमारी
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मानसिक,
कफ
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अनाज
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चावल,
दूध
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