एक कहावत के अनुसार चेहरा इंसान का आईना होता
है और इस आईने को पढ़ने का नाम है मुखाकृति विज्ञान इसे English में Face
reading कहते
है। प्राचीन समय में मुखाकर्ति विज्ञान सामुद्रिक शास्त्र का ही एक अंग था, परंतु
वर्तमान में इसका अध्यन प्रथक विषय
के रूप में किया जाता है।
क्या होता है मुखाकृति
विज्ञान? (What is face Reading)
मुखाकर्ति विज्ञान ज्योतिष का एक प्रकार है जिसके अंतर्गत चहरे की बनावट, उस पर पाये जाने वाले चिन्ह और ललाट रेखा के आधार पर किसी व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में पता लगाया जा सकता है।
मुखाकर्ति विज्ञान ज्योतिष का एक प्रकार है जिसके अंतर्गत चहरे की बनावट, उस पर पाये जाने वाले चिन्ह और ललाट रेखा के आधार पर किसी व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में पता लगाया जा सकता है।
मुखाकृति विज्ञान का महत्व (The
importance of face Reading)
यू तो किसी का भविष्य
जानने के लिए ज्योतिष
की अनेकों शाखाये उपलब्ध
है जैसे- कुंडली, हस्त रेखा,
अंक विध्या आदि। फिर भी Face reading का
अपना महत्व है, क्योंकि अन्य ज्योतिष के माध्यम से किसी
का भविष्य पता करने के लिए जातक की रजामंदी आवश्यक होती है। जब तक जातक अपनी DOB
नहीं देगा आप कुंडली ज्योतिष से भविष्य कथन नहीं कर सकते। हस्त चिन्ह न होने पर हस्त रेखा का ज्ञान भी काम नहीं आएगा।
इसके विपरीत फ़ेस रीडिंग के माध्यम से आप
सामने वाले व्यक्ति के बारे में उससे बिना किसी चीज़ की मांग किए या उसे बिना बताए भी उसके गुण,
दोष,
स्वभाव यहाँ तक की उसका भूत,
वर्तमान और भविष्य के बारे में भी काफी कुछ पता लगाया जा सकता है।
मुखाकृति विज्ञान का इतिहास (The History of Face Reading)
The practice of physiongnomy or
face reading is an ancient art Of
china?:- दूसरों की चीज़ पर अपना हक जताने के लिए सुप्रसिद्ध
चीन फ़ेस रीडिंग में भी अपना हक जताता है। चीन के अनुसार फ़ेस रीडिंग की शुरुवात छठी
सताब्दी ई पूर्व चीन में हुआ था। जबकि सत्य तो ये है,
फ़ेस रीडिंग का प्रयोग इससे कही अधिक पहले भारत में हुआ करता था। फर्क बस इतना है,
तब यह सामुद्रिक शास्त्र नाम से प्रसिद्ध था और इसके अंदर पूरे शरीर का अध्यन किया
जाता था। इस बात के संकेत हिन्दू पौराणिक कथाओं से मिलते है।